जीवन के झंझावातों से क्या डरना
पथ में बाधाओं की चिन्ता क्या करना
संकट के भुजपाश मिलें तो रोना क्यों
मुश्किल हो यदि लक्ष्य तो साहस खोना क्यों
क्षण भर भी न रहूँ व्यर्थ की बातों में
हिम्मत की पतवार थाम लूँ हाथों में
लेकर प्रभु का नाम, राह पर डटी रहूँ
मन में रख विश्वास, चाह पर डटी रहूँ
बस इतना सा ज़र्फ़ मुझे देना दाता !
बस इतना सा ज़र्फ़ मुझे देना दाता !
11 comments:
swagat hai in joshili panktiyon ka
ye urja bani rahe.......
shubhkaamnaayen
प्रेरणा देती सुन्दर रचना...
हिंदी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है
"संकट के भुजपाश मिलें तो रोना क्यों
मुश्किल हो यदि लक्ष्य तो साहस खोना क्यों"
बहुत खूब - सच्चा जीवन सन्देश - शुभकामनाएं
रूचिप्रिया जी, आदाब
जीवन के झंझावातों से क्या डरना
पथ में बाधाओं की चिन्ता क्या करना
संकट के भुजपाश मिलें तो रोना क्यों
मुश्किल हो यदि लक्ष्य तो साहस खोना क्यों.
सकारात्मक दृष्टिकोण की इन रचनाओं के साथ ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
यहां भी तशरीफ़ लाईयेगा..
http://shahidmirza.blogspot.com/
शब्दों का धमाल।
आपकी लेखनी का कमाल!
ब्लॉगिस्तान में आपका स्वागत है!
ब्लॉग जगत में स्वागत है....
बहुत प्रेरणादायक रचना.....सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत प्रेरणादायी सुन्दर अभिव्यक्ति के लिया बधाई स्वीकारे !!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
उत्साहजनक, आशामयी कविता -ब्लाग जगत में अपनी छाप छोड़ें, इसी शुभेच्छा के साथ आपका स्वागत है.
संकट के भुजपाश मिलें तो रोना क्यों
मुश्किल हो यदि लक्ष्य तो साहस खोना क्यों
बहुत ऊर्जा है इन पंक्तियों में...
आप बहुत अच्छा लिखती है...आपकी भाषा और भाव का टाल-मेल बहुत अच्छा लगा..
ख़ुशी हुई देखकर की आप अपने सदगुणों का सही उपयोग कर रहीं हैं...
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है...
बहुत ही ज्ञान बर्धक रचना
ब्लॉग जगत में आप का स्वागत है
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
भावपूर्ण अभिव्यक्ति
स्वागत है
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